Raghuvansh Mahakavyam 6-7 Sarg (रघुवंशमहाकाव्यम् 6-7 सर्गः)

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Acharya Narmdeshwar Kumar Tripathi - Sanskrit & Hindi

Raghuvansh Mahakavyam 6-7 Sarg (रघुवंशमहाकाव्यम् 6-7 सर्गः)

रघुवंशमहाकाव्यम् 6-7 सर्गः (Raghuvansh Mahakavyam 6-7 Sarg) कालिदास की कृतियों के क्रम में ‘रघुवंश महाकाव्य’ का ‘तीसरा स्थान’ है। प्रथम दो कृतियां हैं- ‘कुमारसंभव’ और ‘मेघदूत’। ‘रघुवंश’ कालिदास रचित महाकाव्य है। इसमें ‘उन्नीस सर्ग’ हैं, जिनमें रघुकुल के इतिहास का वर्णन किया गया है। महाराज रघु के प्रताप से उनके कुल का नाम ‘रघुकुल’ पड़ा। रघुकुल में ही राम का जन्म हुआ था। रघुवंश के अनुसार दिलीप रघुकुल के प्रथम राजा थे, जिनके पुत्र रघु द्वितीय थे। उन्नीस सर्गों में कालिदास ने राजा दिलीप, उनके पुत्र रघु, रघु के पुत्र अज, अज के पुत्र दशरथ, दशरथ के पुत्र राम तथा राम के पुत्र लव और कुश के चरित्रों का वर्णन किया  है।

षष्ठम सर्ग -: छठे सर्ग में रघुपुत्र अज का जन्म एवं विदर्भ राजकन्या इन्दुमती से स्वयंवर विवाह का चित्रण है। अनेक देशों के भूपति स्वयंवर में उपस्थित हैं, किंतु एक गन्धर्व से प्राप्त सम्मोहन नामक अस्त्र की महिमा से अज ही इन्दुमती को आकृष्ट करते हैं और वरमाला उनके ही गले पड़ती है। विभिन्न देशों से आगत राजाओं के प्रसंग में अनेक व्यक्तिगत गुणों, वंशावली, शौर्य, समृद्धि और विशेषरूप से राज्य की भौगोलिक सीमाओं का समुचित वर्णन है।

सप्तम सर्ग -: सप्तम सर्ग अज के नगरभ्रमण एवं इन्दुमती सहित अज के स्वनगर प्रस्थान को प्रस्तुत करता है।

Author : Acharya Narmdeshwar Kumar Tripathi

Publisher : Bharatiya Vidya Sansthan

Language : Sanskrit & Hindi

Edition : 1st 2017

Pages : 214

Cover : Paper Back

ISBN :           -

Size : 12 x 1 x 18 ( l x w x h )

Weight : 

Item Code : BVS 0173

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